ए0 एस0 खान

आज माइनॉरिटी डे है, समझते हैं की आखिर माइनॉरिटी और मेजोरिटी का किस्सा है क्या? दुनिया के दो सबसे बड़ी आबादी वाले धर्म ज़मीन के एक हिस्से पर माइनॉरिटी हैं। यानि इस्लाम और ईसाई भारत जैसे देश में माइनॉरिटी हैं। भारत में जो धर्म मेजॉरिटी में है, वो दुनिया के नक्शे में माइनॉरिटी हैं। यानि हिन्दू धर्म दुनिया के नक्शे में माइनॉरिटी है।

अब कन्फ्यूज़ मत होइएगा मेजॉरिटी और माइनॉरिटी में। यह देखिये मेजॉरिटी भी कहीं न कहीं माइनॉरिटी है। माइनॉरिटी कहीं न कहीं मेजॉरिटी।

अब देखिये यह की जब यह मेजॉरिटी में होते हैं तो गुरूर में मदमस्त हाथी हो जाते हैं। माइनॉरिटी के प्रति कर्तव्य से मुँह मोड़ना इनकी पहचान होती है।

जब यह माइनॉरिटी होते हैं तब आँखो में आँसू भरे अपने अधिकार माँगते हैं।
मुझे हैरत है जहाँ जिसे बड़ा बनना है, वोह वहाँ सबसे छोटा बनता है। यह अजीब लोग हैं जो हर थाली पर अपना पहला हक़ समझते हैं क्योंकि ईनकी भीड़ ज़्यादा है।
एक और चीज़ बता दूँ।

हर मेजॉरिटी को माइनॉरिटी की बढ़ती जनसंख्या से आसानी से डराया जा सकता है।

आज माइनॉरिटी डे है। मुझे तो लगता है यह सबको ही मनाना चाहिए। जो भारत में मेजॉरिटी है वोह विश्व स्तर पर माइनॉरिटी है। इसलिए उसे अपने दर्द, ख़ुशी ज़रुरतो को साझा करना चाहिए। जो विश्वस्तर पर मेजॉरिटी हैं वो भारत में माइनॉरिटी हैं। उन्हें अपने दर्द, ख़ुशी और ज़रूरतों को बताना होगा।

यह लिखने का बस एक मकसद है की मेजॉरिटी के नाम पर जो घमण्ड में चूर सब तहसनहस करते चल रहे हैं वोह देखें की वोह भी माइनॉरिटी हैं। जो माइनॉरिटी अपने हक़ और बराबरी के लिए आँखों में आँसू भरे परेशान खड़े हैं वोह भी देखें की जहाँ वोह मेजॉरिटी में हों वहाँ माइनॉरिटी की आँखे भरी न हों।

हक़ पाना है तो देना सीखिये। जिस ज़मीन पर बड़ी भीड़ छोटी भीड़ को सिर्फ इसलिए तंग करे की उसकी चारपाई पर ज़्यादा बच्चे हैं तो वोह भी तहस नहस होंगे।

म्यांमार में रोहिंग्या तो बंग्लादेश-पाकिस्तान में हिन्दू और भारत में कुछ जगह मुस्लिम ,ईसाई,सिख, कुकी अगर आँसुओं से रो रहे हैं। तो मेजॉरिटी सोच ले की उनकी ज़िन्दगी का सुकून भी छिन गया है ।

सुनो!
दूसरे मुल्कों के उदहरण से अपनी ज़मीन को ऊसर बनाना सबसे बुरा है।
उठो और बराबरी से सबको गले लगाओ ताकि जब तुम कल कहीं खड़े हो तो तुम्हे वहाँ भी कोई अपना खड़ा मिल जाए जो लपक कर तुम्हारे गले लग जाए। यही तो इंसानियत है, वरना जानवर ही मेजॉरिटी में माइनॉरिटी के ख़ून से अपने दांत सुर्ख़ करते हैं।
इंसान बनो।

मेजॉरिटी को माइनॉरिटी से डराना ही कम्युनल सियासत है । दोनों को उस जमीन को बेहतर करने में लगना चाहिए, जहां वह मौजूद हैं ।

एक रहें, आपस मे मुहब्बत रखें तो यह माइनॉरिटी और मेजॉरिटी की लकीर पट जाएगी